हमसफ़र ना सही हमदर्द बना लो पाँव के छालों पर मरहम लगा दो माना राह पर साथ न चल पाओगे सुख दुख बाँट कर जीना सीखा दो। किस्मत ने खेला बड़ा अज़ीब खेल मुकम्मल नहीं हुआ हमारा सफ़र तन्हाई से लिपट गया पूरा आसमाँ उदासी से भर गई हमारी प्रेम डगर। दर्द में भी है तेरी यादों का कारवाँ हर पलों में रहनुमाई की दास्ताँ रफ़्ता रफ़्ता चल पड़ी हूँ सफ़र पर उन्हीं रास्तों में तुम थे कभी उस पर। पीछे रह गई हमसफ़र की बात खुबसूरत वो चंद पलों का साथ भूल कर बढ़ गई वो रंगीन रात दर्द की दवा वो दीदार वो अंदाज़। हमसफर मैं नहीं बन पाई तुम्हारी मेरी आरज़ू हमदर्द मुझे बना लेना जिंदगी के कंट कंटीली राहों पर इस रिश्ते को ज़रूर आ़जमा लेना।
2020-09-16