मेरे मन को ले जा रही है
ये हवाएं आसमाँ की ओर
अब इन हवाओं से क्या कहूँ
इरादों को पंख लग गए हैं
अब कौन बांध पाएगा
निगाहों में टिकी है मंज़िल
अर्जुन की तरह लक्ष्य साधे
बस उस ओर बढ़ चला हूँ
नहीं इसे कोई रोक पाएगा
इन हवाओं से क्या कहूँ
तेरा साथ मिला तो
इस मिट्टी की सौगंध मुझे
इस जहां में क्या
उस जहां में भी
जिसे हम चाँद कहते हैं
मेरे वतन का तिरंगा
लहराया जाएगा।
राष्ट्र प्रेम को समर्पित रचना – मेरा भारत महान