A for Apple पर इससे भी कुछ ऊपर….
#Affiliation
#Attention
#Appreciation
#Acknowledge
1.Affiliation – लोगों से जुड़ना यानि टीम वर्क – नव ग्रह से सौर मंडल, सूरज, चाँद, सितारे जिनसे बनता है पेड़ पौधों का भोजन और जीवन, उनसे हमें मिलता है आक्सीज़न, यहीं से साँसों का लेन देन, कोई साँस लेता है तो कोई छोड़ता है, ये गति सामूहिक है,पर बीच में EGO यानि अहंकार जो यह समझाता है कि सब कुछ तुम ही तो करते हो, यही है हमारी सबसे बड़ी भूल! कभी सुना है क्या कि अकेले चने ने भांड फोड़ा है, नहीं तो इस मिथ्या अहंकार से बाहर निकलो और समझो इस सामूहिक प्रक्रिया को।
2.Attention – ध्यान देना – सोचो घर में हमारे एक कुत्ता रहता है, हमारे घर लौटने पर वो भाग कर आता है, कुछ समय उसको प्यार करते हैं, फिर वो चला जाता है, ऐसे ही अपने जीवन में से कुछ समय निकाल कर परिवार में भी ध्यान देना चाहिए, इसमें नजरअंदाज उचित नहीं, अन्यथा तलाक, माँ बाप का वृद्धाश्रम में होना, बच्चे का घर से भाग जाना, आत्महत्या और ऐसी न जाने कितनी दुखद घटनाओं को हम आमंत्रित कर देते हैं, बस थोड़ा सा ध्यान, जीवन का संज्ञान।
3.Appreciation – तारीफ और आलोचना – अधिकतर हम देखते हैं कि तारीफ करने से ज्यादा हमारा मन आलोचना करने से ज्यादा आनंदित अनुभव करता है, क्या इससे हम ज्यादा ज्ञानी हो जाते हैं, शायद ये हमारा भ्रम है।
Golden rules of criticism –
A.Never critisize person, critisize action
B. Appreciate in public and critisize in private
C. Sandwitch technique to critisize
प्रशंसा की पहली ब्रेड
अंदर आलोचना
फिर ऊपर प्रशंसा की ब्रेड
साथ ही trust building, जिससे आपकी सही आलोचना सुनने वाले को समझ आ सके, ये हो तो उचित आलोचना न व्यर्थ होगी और न ही रिश्तों में कटुता उत्पन्न होगी।
4.Acknowledge – कृतज्ञता, धन्यवाद, आभार, अभिनन्दन या फिर Thank You – माता पिता, पति पत्नी, शिक्षक, मित्र, संतान सभी को समय समय पर धन्यवाद अवश्य देते रहे, ये सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है, पर हम बेज़रत इंसान हो गए हैं कि अंतर्मन से धन्यवाद भी नहीं निकल पाता है, ये कैसी जीवन की व्यवहारशैली!
तीन ऋण है हमारे जीवन के…
A.ऋषि ऋण – हमारी संस्कृति, हमारे ग्रंथ हमारे संस्कार जो हमें पूर्व ऋषि मुनियों से प्राप्त हुए।
B.लोक ऋण – समाज का ऋण-उनके द्वारा लगाए गए पेड़ पौधे, स्कूल, हॉस्पिटल, भवन आदि जिनकी हम सेवा लेते हैं।
C.पितृ ऋण – माता पिता, पीढ़ियों द्वारा हमारे ऊपर किए गए उपकार, जिनका कोई मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है।
रिश्तों को exploit न करें और आत्मिक आभार अवश्य प्रदान करे।
A से अंतिम शब्द – क्यों है ना Amazing!