Sadness – दुःख
1. किसी ने हमें hurt कर दिया और उसे हम ने अपने अंदर inhale करके रख लिया, अब वो दुख हमारे अंतर्मन में बैठ गया है।
2.हमारे द्वारा किसी के प्रति अनुचित व्यवहार हुआ, हमारे अंदर ग्लानि बोध है, यह दर्द हमारे अंतर्मन में बैठ गया है।
3.कई बार हमारी कोई गलती नहीं है, पर ईश्वर द्वारा अनुचित व्यवहार मिल जाता है और हम बाध्य होकर सोचते हैं कि भगवान हमारे साथ ऐसा क्यों कर रहा है, यह कष्ट हमारे अंतर्मन में बैठ गया है।
जब-जब इसकी याद उभरती है, मन विकारों से भर जाता है, शोथ से पाया है कि ऐसे समय में हमारे शरीर में 42 तरह के नकारात्मक एनजाइम बनते हैं और वो ही कारण बनते हैं कैंसर के… क्यों बनाना है कैंसर!!!
निकालो अपने अंदर की पीड़ा को और उठा कर बाहर फेंक डालो ऐसे दुःख, दर्द और कष्ट
को और जियो पूरी मस्ती में… क्योंकि ये जीवन बहुत महत्वपूर्ण है।
दुख
. किसी ने हमे चोट पहुंचाई और हमारा मन दुखित हो गया।
थोड़ी देर के लिये सोचते कि उसने हमें चोट क्यो पहुंचाई कही हमने खुद कुछ गलत बात तो नही कह दी शायद उत्तर मिल जाता।
हम मानव है हमारे मन मे सबसे पहले नकारात्मक बाते ख्याल में आती है और हमे दुख का सामना करना पड़ता है।
अगर हमारी सोच सकारात्मक हो तो हमसे अनुचित व्यवहार न के बराबर होगा ऒर हम ग्लानि बोध का सामना भी करने से बचेंगे।
ईश्वर अच्छा या बुरा जो भी करता है वह हमारे भले के लिये ही करता है अतः मन मे कभी भी कोई बात नही लेना चाहिए।कुछ बुरा हो रहा है तो वह हमारी सावधानी के लिए हमे सचेत करता है।अच्छा हो रहा है तो प्रभु की कृपा समझना चाहिए।
जीवन मे सकारात्मक सोच हर पीड़ा को हर लेता है। दुख दर्द हमारे मन की सोच है।
सकारत्मक सोच समयानुसार हर तकलीफो का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है।
अपने अहम् को थोड़ा-सा झुका के चलिये।
सब अपने लगेंगे ज़रा-सा मुस्कुरा के चलिये।
जय श्री कृष्ण