ये दिल ही तो है ज़नाब….
आसमाँ में दूर तलक़ उड़ना चाहता है
पंख फैला कर आकाश छूना चाहता है
चाँद तारों की सैर करना चाहता है
समुद्री तट पर घंटों लेटे रहना चाहता है
पुष्प की भीनी-भीनी खुशबू पाना चाहता है
हवा के झोंकों में आवारगी करना चाहता है
नदियों की कलकल में बहना चाहता है
झरनों के नीचे खड़े रहकर नहाना चाहता है
पहाड़ के मनोरम दृश्य में खोना चाहता है
उगते सूरज की लालिमा देखना चाहता है
बारिश में प्याज़ के पकौड़े खाना चाहता है
ये दिल बड़ा बेईमान कुछ नया चाहता है
अपने प्रियतम का आलिंगन चाहता है
उसके आगोश़ में ख़ुद को खोना चाहता है
कभी रूठना कभी उसे मनाना चाहता है
खुशियों की डोली को सजाना चाहता है
होठों पे अपने उन्मुक्त हँसी लाना चाहता है
कलम से अद्भुत सृजन करना चाहता है
देश में अमन चैन से रहना चाहता है
बदलते भारत की तस्वीर देखना चाहता है
राष्ट्र को अपना बड़ा योगदान देना चाहता है
प्रधानमंत्री जी से मुलाकात करना चाहता है
उनके हाथों सम्मान पत्र लेना चाहता है
साहित्य मंच से पुरस्कार पाना चाहता है
ये दिल बड़ा बेईमान कुछ नया चाहता है
ये दिल ही तो है….आशिक़ाना, आतुर, आशावान, उम्मीद, आकांक्षा और अपेक्षा, आमोदित, अनगिनत