वो भूली दास्ताँ वो बीते दिन पुराने लो याद आयें हैं फिर से मुझे रुलाने दिल में जले चिराग़ रोशन ज़माना सारा झूठी प्यार क़िताब ग़मों से दिल है हारा मन के उम्मीद पर चले एक शमा जलाने वो भूली दास्ताँ वो बिसरे से तराने
टूटी हुई कश्ती बहती नदी की धारा सूनी पड़ी बस्ती उजड़ गया किनारा बादल उदासी का चल देते हम हटाने वो भूली दास्ताँ वो बिसरे से तराने वो भूली दास्ताँ वो बीते दिन पुराने लो याद आयें हैं फिर से मुझे रुलाने।