भेजते हैं चिट्ठी पत्री घर-घर करवाते हैं जिससे मनीऑर्डर मनरेगा के मिलते पैसे जहां से नाम है उस का डाकघर। साइकिल पर जब आता डाकिया आवाज़ देकर बतलाता डाकिया चिट्ठी संग जज्बात लिए रिश्तों को जोड़ देता डाकिया। डाक टिकट से लगाव आज भी है एल्बम बना कर रखा आज भी है दिवाली की सफाई में जब भी हाथ आता मन बचपन की यादों में खो जाता आज भी है। प्रगति और विकास ने डाकघर का किया बुरा हाल न ड्यूटी सही, न सुविधाएं उपलब्ध दिन प्रतिदिन हो रहा बदहाल। इंडिया की जीडीपी बढ़ाना है डाक घर में निवेश लाना है सोना बेचने की परियोजना से आम जनता को फायदा दिलाना है।
2019-12-11