कोरोना के लिए क्यों रोना?

कोरोना वायरस ने हमारी संस्कृति को किया पुनर्जीवित…
सदियों से प्राकृतिक आपदा ने अपना तांडव खेल दिखाया है,कभी महामारी से तो कभी सुनामी से,कभी अग्नि ताप से तो कभी भू-स्खलन से, ऐसा क्यों होता है? जब प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ करते हैं तो परिणाम अवश्य ही हमें भुगतने पड़ते है। अब तक जो भी आपदाएं आई थी, उसका ज्ञान या जानकारी लोगों तक नहीं पहुँचती थी, क्योंकि सोशल मीडिया नहीं था,ऐसे में भारी तबाही होती थी पर आज हमें इसका बहुत बड़ा लाभ मिला है। कई लोगों का मानना है कि यह वायरस मानव द्वारा तैयार किया गया है, अगर ऐसा हुआ है तो निश्चित रूप से अक्षम्य अपराध हुआ है, जिसकी कोई माफ़ी नहीं है, पर अभी इसके तह तक जाने का किसी के पास समय नहीं है, अभी तो सिर्फ और सिर्फ ज़न-ज़न के बचाव हेतु इससे निपटने का रास्ता निकालना आवश्यक है।कठिन आपदा के भयभीत समय में हमें शिक्षा, ज्ञान, साहस, जागरूकता, संयम, संकल्प जैसी कई मूल्यवान भावनाओं का हमारे अंदर इजाफ़ा होता है। आज हमारी संस्कृति ने फिर से एक बार अंगड़ाई लेकर हर घर के दरवाजे पर दस्तक दी है, परिवार के छोटे से बड़े प्रत्येक सदस्य सब अपने भारतीय संस्कारों को अमल करने के लिए सकारात्मक सोच के साथ उत्साहित और संकल्पित हो गए हैं, ये ऐसा इसलिए क्योंकि इसका बचाव ही यही है। वैसे तो अपने संस्कार और संस्कृति के अनुरूप हाथ जोड़कर नमस्ते करना, यज्ञ हवन धूप बत्ती करना, हाथ पैर धोकर घर में घुसना,ताली बजाना, मंदिर में घंटी बजाना, शंखनाद करना, तुलसी का पूजन व सेवन, सूर्य देवता की उपासना, सादा एवं शाकाहारी भोजन जैसी अनेकों शैली हमारे जीवन का अभिन्न अंग रही है,पिछले कुछ समय से पाश्चात्य संस्कृति एवं सभ्यता के अनुगृहित होने की वजह से हम इससे थोड़ा दूर हो चले थे, पर इस वायरस की वजह से हमारी संस्कृति और संस्कार पुनः जीवित हो उठे हैं, इसलिए…
कोरोना के लिए क्यों रोना हैं!!!
जब देश का प्रत्येक नागरिक सजग और सतर्क हो गया है, हर एक डॉक्टर मानव बचाव के हितार्थ हेतु जी जान से जुट गया है, हर प्रदेश के उच्चाधिकारी और उनके अन्तर्गत काम करने वाले प्रशासनिक व्यवस्था के सभी लोग इससे मुकाबला करने के लिए हर सम्भव प्रयास करना शुरू कर चुके हैं, तो फिर चिंता कहाँ है! पर जी हाँ… है ना क्योंकि इस वायरस का कोई टीकाकरण नहीं है, पूरे विश्व में मृतकों की संख्या रुकने का नाम नहीं ले रही है, इसलिए…..
हम सभी को इसका ऐतिहात बरतना है,डट कर मुकाबला करना है, जनता कर्फ्यू तो मात्र एक दिन का है, हमें तो इसे खदेड़ कर अपने देश से बाहर करना है, तब तक निश्चिंत नहीं होना है, जब तक ये पूरी तरह से ख़त्म न हो जाए… यक़ीन मानिये भारत की शक्तियों के समक्ष इसकी क्या औकात है, निश्चित रूप से यह…..
कोरोना हारेगा
भारत जीतेगा
हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी के निर्देशानुसार सभी प्रकार की सावधानी और बचाव रखने हेतु प्रतिबद्धता और संकल्पित ऊर्जा के साथ आप सभी से आह्वान करती हूँ
स्वयँ की रक्षा करे
परिवार को सुरक्षित करे
राष्ट्र को संबोधित करे
अपना दायित्व निभाए 
एक जागरूक भारतीय महिला…
मधु भूतड़ा
गुलाबी नगरी जयपुर से

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