इश्क़ का उठ रहा जनाज़ा है,कई दफ़ा तराशा है दर्द उठ रहा है सीने में,बेवफ़ाई में टूटा भरोसा है गलतफ़हमी हुई बरबाद हुए, कौन करेगा यक़ीन शहर में रुसवाई है, हर तरफ़ यार का तमाशा है।

वादा है तुझसे ए वतन अपना फ़र्ज़ निभाउंगा तिरंगे की सम्मान में अपना शीश नवाउंगा। दुश्मन आँख उठाए तो चीर के उसको आऊंगा माँ भारती की सुरक्षा में जीवन कुर्बान कर जाऊँगा। जय हिन्द