अश्कबार होना

चारों ओर धूम मची हुई है, उत्साह एवं उमंग से तैयारियां चल रही है, मेहमानों की ख़ातिर हो रही है, अद्भुत समाँ बंधा हुआ है, रौनक सजी हुई है, फूलों से सजा सुन्दर मंडप, पंडितों द्वारा मंगल गान और मंत्रोच्चार की गूँज पूरे सभागार में सुनाई दे रही है।ओम मंगलम् भगवान विष्णु का जाप हो रहा है और सभी बाराती नाच रहे हैं, लज़ीज़ व्यंजनों की भरमार है, चारों ओर कोलाहल भरा हुआ है,उस शोर में दुल्हन का मन एक ओर आनंदित हो रहा है, नए दहलीज पर जाने के सुंदर सपने बुन रहा है, वही दूसरी ओर अश्कबार हो रहा है, अपनों से बिछुड़ना का ग़म असहनीय है, फिर भी जीवन की परंपरा को निभाना और नए घर जाना, ये सबसे महत्त्वपूर्ण संस्कार है,जिसे कहा जाता है विवाह संस्कार।
जन्म माता पिता के घर और मृत्यु पति के आँगन में, ये सिर्फ एक औरत की शक्ति है, जो वो शालीनता, प्रेम और आत्मविश्वास पूरा संसार सजाती है। कई मौकों पर अश्कबार होती है, पर अपने धैर्य और सकारात्मक सोच से जीवन को खूबसूरत बनाती है, आज मंडप में बैठी दुल्हन पर भी कुछ ऐसा ही भाव उमड़ पड़ा है, पर तब तक दूल्हे के मांग में सिंदूर भरने के साथ ही खुशियों और प्यार से सज गई महफ़िल और भारतीय संस्कृति की रस्म।
अश्कबार में सम्मिलित हुआ दैवीय प्रेम का रंग।ये जीवन का दस्तूर है कहीं मिलन की खुशी है तो कहीं बिछुड़ने का ग़म है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *