आशंका 

जब जब छूटता भरोसा
आशंका लेती जन्म
हर गतिविधि संदिग्ध
उलझ जाते करम

अपनी ही आशंकित सोच
डर से होता निढाल मन
मति भ्रमित दृश्यावली
सहम जाता अंतर्मन

कभी कुत्ते का रोना
कभी कौवा कांव कांव
बुरी घटना की आशंका
भरता मन का भाव

युद्द का समाचार मिलता
मृत्यु की होती आशंका
फौजी के घरवाले सहमते
कब आये नंबर किसका

आशंका एक मनोव्यथा
मन मस्तिष्क का द्वंद
विचित्र भाव उद्वेलित मन 
ज़िंदगी बन जाती झंड

आशंका उलझन का घेरा 
चक्रव्यूह में फंसा मन 
अनहोनी अनुभूति से भरा
ख़ुद का ही है ये बंधन।

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