अपने हिस्से की भूख

अपने हिस्से की भूख दबाकर 
माँ बच्चे को रोटी खिला देती है
रोटी में अमृत की बूंदे समा कर 
प्यार का गागर छलका देती है।  

वही बच्चे बड़े होकर भूल जाते 
बचपन का प्यार दुलार संस्कार 
न ध्यान रखते न ही सेवा करते 
बुढ़ापे में छोड़ते  साथ कई बार। 

पल-पल जिसने पालन कर 
किया खुशियो का बलिदान 
बलिहारी जाए मातृत्व पर 
माँ का व्यक्तित्व बड़ा महान। 

माँ जीवन की सर्वश्रेष्ठ कृति 
उनके बिना बचपन अनाथ 
ईश्वर के रूप की है आकृति 
माँ को रखना सदा ही साथ। 

माँ भूखी होकर भी रहें संतुष्ट 
अपना निवाला खिला देती है 
कौर-कौर में आशा भर कर 
नित नव जीवन सजा देती है।

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