अमीरी का दंभ भरने वाले कहाँ है वो अमीर चंद पैसों के लिए जो बेच देते अपने ज़मीर आजमा कर देखो इन्हें बन जाएंगे वो फ़कीर। ग़रीब तब तक ही ग़रीब है जब तक कोसता अपना नसीब है मुफ़्त के राशन से होता लाचार ये मंजर कितना अज़ीब है आग से जल जाता है जबकि कुंआ होता इनके करीब है। क्यूँ कहते हो हर संकट में हर परिस्थिति और मुश्किल में सरकार को गरीब के करीब होना चाहिए ग़र चाहते हो देश का भला बनो तुम आत्मनिर्भर मेहनत कला हुनर से शिक्षित होना चाहिए। अमीर बना और टिका रहा अपने कठिन परिश्रम से ग़रीब भी बन सकता है अमीर अपने पुरुषार्थ और श्रम से। बस बहुत हुआ अब... सशक्त भारत की आवाज़ को बुलंद करो अमीर ग़रीब के आलाप को बंद करो इस खाई का सदा के लिए अंत करो राजनीति के इस माहौल को ख़त्म करो।
2020-06-28