मेरे अंतर्मन से निकली एक पहल जो समाज और देश के वर्तमान हालातों को बयाँ करती है और उसके पहलुओं पर गौर फरमाती है। आओ हम सब मिलकर इस एक पहल को नयी सोच और नयी दिशा की ओर ले चले।
“पंख उठाये चले आसमाँ की ओर,
ठंडी हवा, मस्त पुरवाई,
तारों की अठखेलियां,
सतरंगी सपने,
इंद्रधनुष के रंग भरे,
बावरा मन देखो हुआ आत्म विभोर। ”