सीता मैया की संसद में हुई जय जयकार
न आंख मारी न गले लगी कैसी ये सरकार
बजट पेश किया विपक्ष में मचा हाहाकार
अच्छा सब कुछ फिर भी करना है प्रतिकार
विपक्ष में होने का यही सीख ये ही संस्कार
सत्ता पक्ष के लिए यह हमेशा होता शानदार
चुपचाप जो दिया बजट को कर लो स्वीकार
वर्ना फिर झेलना होगा करोड़ों का इश्तिहार
सांसद बन सदन में जाने दो मुझे एक बार
पति ने किया मेरी बात का पूर्ण बहिष्कार
पहनाया है सबके मध्य तुझे फूलों का हार
राजनीति नेतागिरी सेवा बजट सब बेकार
मेरी धर्म पत्नी ही रहो संभालो घर परिवार
दूँगा तुझे जीवन पर्यंत तक प्यार ही प्यार
सही गलत में दिमाग मत लगाना ख़बरदार
पक्ष में हो तो बजट को देना होगा आभार
विपक्ष में हो तो करो निंदा और तिरस्कार
गरीबों का ख़ास ध्यान सब्सिडी से आधार
अमीरों को विशेष लाभ दिया खूब व्यापार
मध्यम को देकर बजवाया मंजीरे की झंकार
बजट की कहानी आम नागरिकों की गुहार
आम तो छोड़ो गुठली के दाम भी है हज़ार।